ठहर जा कुछ पल और जिंदगी
ठहर जा कुछ पल और जिंदगी
ठहर जा कुछ पल और जिंदगी,
मुझे अभी और निखरना है l
दे दो कुछ पल और जिंदगी,
मुझे और सिखना, सिखाना है ll
कुछ वक्त बिना चले रह जा जिंदगी,
जरा तुझे भी तो समझ लूँ मैं l
दो पल भी रुक जा जिंदगी,
बैठ कर थोड़ा मुस्कुरा लूँ मैं ll
सरकती रही धीरे धीरे जिंदगी,
मुश्किल हलाते आती रही l
वक्त के साथ गुजरती रही जिंदगी,
खुशियों के पल भी लाती रही ll
तु धीरे - धीरे बढ़ती रही जिंदगी,
मै तुझसे अंजान तुझे जानता रहा l
हर गुजरते पलों में जिंदगी,
हर मोड पे तुझसे सिखता रहा ll
अटल सत्य की ओर बढ़ती रही जिंदगी,
हमें सुख-दुख के सागर में समेट कर l
कब आ जाए अंतिम दिन जिंदगी का,
बढ़ती रही वो, हमें उम्मीदें पकडा कर ll
✍अंकित राज
Nigam Kumar
08-May-2022 06:49 AM
Wahh
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Bittu Raj
07-May-2022 03:38 PM
Nice poem bhai
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Shashank मणि Yadava 'सनम'
18-Dec-2021 01:13 PM
👌🏼 👌🏼 👌🏼 जीत की badhai हो मित्र
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